Monday, August 17, 2015
अब 'हैश लिस्ट' से बंद होंगी चाइल्ड पॉर्नोग्राफी वेबसाइट्स
Monday, August 17, 2015 by Unknown
इंटरनेट के सबसे खतरनाक पहलू चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर अंकुश लगाने के लिए तकनीक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों ने साझे प्रयासों को अंजाम देना शुरु कर दिया है। इन प्रयासों के अंतरगत ही चाइल्ड पोर्नोग्राफिक तस्वीरों की एक "हैश लिस्ट" तैयार की गई है।
'हैश लिस्ट' बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरों का एक डाटा बेस है जिसे इन्टरनेट वाच फाउंडेशन द्वारा विभिन्न प्रक्रियाओं की मदद से तैयार किया गया है।
कैसे काम करती है यह हैश लिस्ट?
प्रत्येक इमेज को एक उच्च विश्लेषक के द्वारा आकलित किए जाने के साथ ही "डिजिटल फिंगरप्रिंट" (हैश वैल्यू के नाम से भी जाना जाता है) से नामांकित किया गया है। यह एक अनोखा कोड है जिसे अल्गोरिदम्स की मदद से बनाया गया है।
आम बोलचाल की भाषा में कहा जाए तो यह विभिन्न वस्तुओं के लिए निर्धारित बारकोड की तरह है जो कि एक यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है. इन हैश वैल्यूज को विश्व की बड़ी कंपनियों द्वारा अपने सिस्टमों में चलाकर तत्काल रूप से चाइल्ड पोर्नोग्राफिक तस्वीरों को पहचान कर हटा दिया जाता है।
अच्छी बात यह है कि यह हैश वैल्यू तस्वीर को कितनी ही बार अलग-अलग नाम और साइज में अपलोड किए जाने के बाद भी समान ही रहती है।
इसका सही मतलब यह है कि अगर कोई जानबूझ कर फेसबुक या ट्विटर पर अलग अलग साइज की एक ही इमेज को शेयर करता है तो यह हैश वैल्यू अपने आप उन सभी तस्वीरों को पहचान कर हटा देगा।
अंग्रेजी अखबार द टेलिग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार चाइल्ड पोर्नोग्राफी रोकने के लिए यह हैशिंग तकनीक गूगल ने बनाई है जिसे अब सभी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों द्वारा प्रयोग में लाया जाएगा। इंटरनेट वॉच फाउंडेशन के अनुसार जल्द ही सभी कंपनियां इस हैशिंग तकनीक को यूज कर पाएंगी।
- सुसी हर्ग्रेअवेस (मुख्य कार्यकारी - इन्टरनेट वाच फाउंडेशन)
IWF की हैश लिस्ट एक आमूलचूल परिवर्तन ला सकती है। इससे बच्चों के यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरों को इंटरनेट पर आने से रोकने के लिए लड़ी जा रही लड़ाई को मदद मिलेगी।
इसका मतलब है कि पीड़ित की तस्वीरों को पहचान कर तत्काल रूप से इंटरनेट से डिलीट किया जा सकेगा। इसके साथ ही बाल यौन शोषण से जुड़ी तस्वीरों को इंटरनेट पर आने से रोका भी जा सकेगा।
गूगल द्वारा बनाई 'हैश लिस्ट' जैसी ही एक तकनीक को पहले से ड्रॉपबॉक्स और खुद गूगल द्वारा प्रयोग किया जा रहा है जिससे यूजर्स को कॉपीराइट-प्रोटेक्टेड तस्वीरों को संग्रहित करने और शेयर करने से रोका जाता है।
हालांकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब तकनीक की मदद से चाइल्ड पॉर्न को रोका जाएगा।
IWF ने कहा है कि बहुत सारी इंटरनेट कंपनियां हैश लिस्ट का प्रयोग कर सकती हैं। इनमें वे सभी कंपनियां भी शामिल हैं जो अपलोड, स्टोरेज या सर्च ऑफ़ इमेजेज, फ़िल्टरिंग सर्विसेज, होस्टिंग सर्विसेस, सोशल मीडिया और चैट सर्विसेज उपलब्ध कराती हैं।
इंटरनेट वॉच फाउंडेशन हैश लिस्ट को नियमित तौर पर अपडेट कर रहा है और इसका लक्ष्य प्रतिदिन के हिसाब से 500 वेबसाइटें ब्लॉक करना है।

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